क्लेम की राशि ड्राइवर और मालिक से वसूलें….
इंदौर….
मोटर एक्सीडेंट क्लेम अधिनियम में सरकार ने 2022 में संशोधन किया था। इसके तहत बीमा कंपनी क्लेम तभी दे पाएगी जब वाहन मालिक के पास लाइसेंस और फिटनेस प्रमाण पत्र हो, और उसके द्वारा बीमा पॉलिसी कराई गई हो।
इनमें से कोई भी कमी रह जाती है तो कंपनी को क्लेम के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। इस संशोधन के बावजूद, जिला एवं सत्र न्यायालय ने कोर्ट के एक कर्मचारी की एक्सीडेंट में मौत हो जाने पर कंपनी को पहले मुआवजा चुकाने के आदेश दिए। बाद में यह राशि वाहन चालक और मालिक से वसूलने को कहा।
दरअसल, अशोक नामक व्यक्ति पत्नी बबीता के साथ बाइक से जा रहा था। भोपाल-देवास हाईवे पर ट्रक ने उनकी गाड़ी को टक्कर मार दी और अशोक की मौके पर ही मौत हो गई। पत्नी ने अधिवक्ता राजेश खंडेलवाल के माध्यम से क्लेम के लिए परिवाद दायर किया था। इसमें कहा गया कि अशोक की कमाई से ही गृहस्थी चल रही थी। इस पर बीमा कंपनी ने एक्सीडेंट क्लेम के मामले में किए गए संशोधन का हवाला दिया।
इसके तहत ट्रक के पास फिटनेस प्रमाण पत्र और ड्राइवर के पास लाइसेंस नहीं था। नियमानुसार, कंपनी क्लेम देने को बाध्य नहीं है। परिवादी की ओर से दलील दी गई कि ऐसे मामलों में सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट ने फैसले दिए हैं। कंपनी पहले मुआवजा दे सकती है, बाद में जिम्मेदारों से वसूल सकती है। कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद कंपनी को 56.10 लाख क्लेम देने के आदेश दिए। यह राशि बाद में चालक व मालिक से वसूलने को कहा।