नदी-तालाब में प्रतिमाओं का विसर्जन करते समय अधिकतर लोग हार-फूल भी पानी में बहा देते हैं। प्रतिमाएं और हार-फूल की वजह से नदी-तालाब का पानी गंदा होता है। ब्रह्मपुराण और महाभारत में कहा गया है कि नदियों को गंदा करने से दोष लगता है, इसलिए घर में ही किसी नए बड़े बर्तन में पानी भरकर उसी में गणेश जी की प्रतिमा को विसर्जित करना चाहिए।
पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र बताते हैं कि विसर्जन के बाद जब पानी में प्रतिमा गल जाए तो उसी मिट्टी में तुलसी, नीम, अशोक, आंवला या किसी अन्य पेड़-पौधे लगा सकते हैं।
जानिए विसर्जन के मुहूर्त, पूजा और विसर्जन की विधि…




जल तत्व के स्वामी हैं गणेश जी….
जल पंच तत्वों में एक है। इसमें घुलकर प्राण प्रतिष्ठित मूर्ति अपने मूल तत्व में मिल जाती है। गणेश जी पंच तत्वों में जल तत्व के स्वामी हैं। विसर्जन के बाद भगवान गणेश का साकार रूप निराकार हो जाता है। ये परमात्मा के एकाकार होने का प्रतीक है। इसलिए पानी में विसर्जन करने का महत्व है। सूर्यास्त तक विसर्जन नहीं कर पा रहे हैं, तो कल सुबह प्रतिमा का विसर्जन कर सकते हैं।