इंदौर….

फरियादी का तर्क था कि लोग वैसे ही परेशान होते हैं, ऐसे में इस तरह के झांसे देकर उनसे खिलवाड़ के खिलाफ आवाज उठाना जरूरी था। उपभोक्ता आयोग ने फरियादी शख्स से ठगी गई राशि 6% ब्याज सहित रुपए लौटाने के लिए आदेश दिए हैं। 8 साल के ब्याज के साथ यह राशि 500 से 600 रुपए के आसपास ही होती है।
मामला 2015 का है। उषा फाटक जेल रोड निवासी पारस पिता मोहनलाल खत्री ने गुरुदेव सेवाश्रम से 21 दिसंबर 2015 को 270 रुपए में अंगूठी खरीदी थी। चांदी की अंगूठी में पन्ना नग लगा था। अंगूठी का बिल भी दिया। कथित ज्योतिष ने ये भरोसा दिया कि अंगूठी पहनने से फायदा होगा, लेकिन उनके बताए अनुसार कोई फायदा नहीं हुआ। इस पर पारस 21 दिन बाद 11 दिसंबर 2015 को आश्रम पहुंचा। आश्रम संचालक और पारस के बीच बातचीत हुई और अंगूठी लौटा दी। कहा कि अंगूठी और रत्न दोनों नकली हैं। आश्रम की ओर से दिया गया बिल भी दिखाया लेकिन आश्रम संचालक ने रुपए वापस नहीं किए।
इस पर गुरुदेव सेवाश्रम संचालक निहालपुरा जवाहर मार्ग के खिलाफ उपभोक्ता आयोग में केस लगाया। आरोप लगाया कि उसे 270 रुपए में एक अंगूठी दी गई। दावा किया गया कि अंगूठी और इसमें लगा रत्न असली है। दूसरी जगह जांच कराई तो पता चला कि अंगूठी की न केवल चांदी नकली है बल्कि रत्न भी नकली हे। अंगूठी रख ली और रुपए भी नहीं लौटाए।
बचाव में कहा था- मैं न तो पंडित न ज्योतिषी, पर आयोग ने नहीं मानी बात
सेवाश्रम संचालक ने आयोग के सामने अंगूठी बेचने और वापस लेने की बात से साफ मना कर दिया। कहा कि हमने रत्न जड़ित अंगूठी पहनने पर फायदा होने की बात नहीं की। ये भी बताया कि चांदी जड़ित रत्न सहित अंगूठी 270 रुपए में नहीं आती है और न ही मार्केट में बिकती है। हम न तो कोई पंडित हैं, न ही ज्योतिषी। दुकान फुटपाथ पर होने के कारण कई लोग आते हैं। दुर्भावनावश झूठा बिल छपवाकर झूठी शिकायत की गई है। हालांकि, बिल के आधार पर उनकी दलीलें टिक नहीं सकीं।
सबूत मांगे तो नहीं बता पाए कि बिल फर्जी है
उपभोक्ता आयोग में आश्रम संचालक ने यह भी दावा किया था कि पीड़ित पारस ने फर्जी बिल पेश किया, लेकिन इसके संबंध में कोई सबूत पेश नहीं कर सके। ना ही शपथ पत्र देकर अपना पक्ष रखा गया। आश्रम संचालक ने स्वीकार किया कि फुटपाथ पर लोगों को ज्योतिष आदि का भ्रम फैलाकर उसके दिन फिर जाने का भरोसा दिलाकर चांदी की अंगूठी दे। संचालक कई लोगों को ऐसी अंगूठी बेचता है।
उपभोक्ता आयोग ने आदेश दिया कि दिसंबर 2015 से 270 रुपए 6% ब्याज के साथ लौटाए जाए। यानी ये राशि करीब 500 से 600 रुपए होगी। कानूनी कार्रवाई में खर्च हुए 2 हजार रुपए भी अलग से लौटाए जाएंगे।