इंदौर….

हाईकोर्ट की डिविजन बेंच ने इंदौर विकास प्राधिकरण द्वारा नामांतरण किए जाने पर फीस के रूप में ली जाने वाली गाइडलाइन की 3 फीसदी राशि को लेकर जाे संकल्प पारित किया था, उसे निरस्त कर दिया गया। प्लॉट खरीदने के बाद उसका मालिक किसी अन्य व्यक्ति को ट्रांसफर करता है तो आईडीए अपने संकल्प के हिसाब से उससे फीस वसूलता है। उनके इस संकल्प को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी।
आईडीए ने 28 मार्च 2012 को स्कीम 78 में 6678 वर्गफीट का प्लॉट 30 साल की लीज पर एक व्यावसायिक फर्म को दिया था। 4 करोड़ 29 लाख 71 हजार रुपए आईडीए में जमा कराए गए थे। जब दूसरी फर्म को प्लॉट ट्रांसफर करने के लिए आवेदन किया तो प्लॉट के बाजार भाव के हिसाब से 3 फीसदी राशि फीस के रूप में देने का पत्र फर्म को दिया गया।
आईडीए की इस डिमांड को फर्म ने अधिवक्ता अविरल विकास खरे के माध्यम से हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। इसमें उल्लेख किया कि नामांतरण शुल्क 5 हजार रुपए लिया जाता है या फिर कलेक्टर गाइडलाइन से वसूला जाता है। इससे ज्यादा पैसा लेने के अधिकार शासन ने जारी नहीं किए हैं।
2016 में पारित किया था संकल्प….
आईडीए ने 28 मई 2016 को संकल्प पारित कर गाइडलाइन के हिसाब से फीस लेना तय किया था। हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता के पक्ष में फैसला दिया और महज 5 हजार रुपए ही फीस के रूप में लिए जाने के आदेश जारी किए। इस आदेश को आईडीए ने डिविजन बेंच में अपील के रूप में चुनौती दी थी। डिविजन बेंच ने भी माना कि आईडीए ने मनमाने और गलत तरीके से संकल्प पारित कर इतनी फीस वसूली है। इस संकल्प को निरस्त किया जाता है।
फैसले का असर…
हर महीने 200 से ज्यादा आवेदकों को फायदा आईडीए में हर महीने नामांतरण के 200 से अधिक आवेदन आते हैं। इस आदेश से नामांतरण कराने वालों को बड़ी राहत मिलेगी। आईडीए की 100 के करीब योजनाएं हैं। हजारों की संख्या में लीजधारी हैं। आए दिन नामांतरण के प्रकरण आईडीए में पेश किए जा रहे हैं। अपील खारिज होने के बाद आईडीए अब 5 हजार रुपए से अधिक फीस नहीं ले पाएगा।