7 साल से जेल में बंद दुष्कर्म के आरोपी को कागजों में कराया मनरेगा में काम, 19 दिन की मजदूरी भी 4 किश्त में निकाली
अंबिकापुर….
लेखक: अंकित द्विवेदी
मनरेगा में फर्जीवाड़े कम नहीं हो रहे हैं। अब एक ऐसा अनोखा मामला सामने आया है, जिसमें सात साल से जेल में बंद दुष्कर्म के आरोपी को कागजों में मनरेगा का मजदूर बताकर फर्जी भुगतान किया गया है। इतना ही नहीं कागजों में कुल 48 दिन मजदूरी देने का उल्लेख है, जिसमें सिर्फ 19 दिन उपस्थित होना बताते हुए चार किश्तों में बैंक खाते के माध्यम से पैसे भुगतान करना दर्शाया गया, जबकि वह साल 2014 के बाद से जेल में बंद है।
मामला सूरजपुर जिले की ओड़गी तहसील के अवंतिकापुर पंचायत का है, जहां निवासी जगबंधन गोड़ पुत्र रामधन गोड़ को दुष्कर्म के आरोप में पुलिस ने 29 मई 2014 को गिरफ्तार किया था। इसके बाद उसे न्यायालय से सजा भी सुना दी गई। गिरफ्तारी होने के बाद से ही जगबंधन अंबिकापुर केंद्रीय जेल में बंद है, जबकि मनरेगा में घपले करने वाले अफसरों ने जेल में बंद आरोपी को ही मनरेगा का मजदूर बना दिया। यह एक इस तरह का पहला मामला नहीं है। जहां मनरेगा योजना में फर्जीवाड़ा करने वाले अफसरों ने घोटाला किया हो। इससे पहले भी जिले से बाहर रहने वाले, मृत व्यक्तियों के नाम रुपए आहरण के कई मामले सामने आ चुके हैं, लेकिन जांच के नाम पर सिर्फ कागजों में शिकायतें दर्ज कर छोड़ दी जाती है।
भास्कर खुलासा: जेल जाने के बाद पैरोल पर कभी बाहर नहीं आया आरोपी जगबंधन
कागजों में आरोपी को 48 दिन मजदूरी देना बताया
जगबंधन ने 18 अप्रैल 2019 से 1 मई तक 12 दिनों तक और 23 मई से 29 मई तक 6 दिनों तक गांव के मोतीलाल व मोहन की निजी भूमि पर काम किया है। इसी तरह 30 मई 2019 स 2 जून तक 12 दिन अन्नीलाल व सुखलाल की जमीन पर डबरी निर्माण में काम किया। इसी तरह 8 जनवरी 2020 से 21 जनवरी तक 12 दिन व 6 फरवरी से 12 फरवरी तक 6 दिन की मजदूरी पतेरपारा में तालाब गहरीकरण में की है। कागजों में कुल 48 दिन की मजदूरी देना दर्शाया है।
आरोपी के नाम 2288 रुपए दी मजदूरी का फर्जी भुगतान
सरकारी दस्तावेजों में जगबंधन को कुल 19 दिन उपस्थिति दर्शा कर मजदूरी भुगतान किए गए। एक बार दो दिन, दूसरी व तीसरी बार 6-6 दिन व चौथी बार में वह 5 दिन उपस्थिति दर्शाई गई है। इस तरह जगबंधन को कुल 19 दिन उपस्थित होकर मजदूरी करना बताया गया है। इसके लिए मनरेगा की दर 176 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से उसे कुल 2288 रुपए की मजदूरी का भुगतान उसके खाते में किया गया है।
दस्तावेजों के अनुसार चार बार खाते में ट्रांसफर किए गए रुपए
आरटीआई में प्राप्त दस्तावेजों के अनुसार जगबंधन को भुगतान की गई राशि में किसी बैंक खाते का जिक्र नहीं है। सिर्फ उसे भुगतान करना दिखाया गया है। इसके तहत 8 अप्रैल 2020 को 880 रुपए, 3 मार्च 2020 को 1056, 29 जनवरी 2020 को 1056 रुपए और 2 मार्च 2020 को 352 रुपए का भुगतान दिखाया गया है, लेकिन यह भुगतान किस खाता नंबर में किया गया है। इसका कहीं कोई स्पष्ट उल्लेख नहीं किया है।
आरटीआई में पूरी जानकारी देने से कतरा रहे जिम्मेदार अफसर
सूचना के अधिकार के तहत जब मामले में जानकारी मांगी गई तो अफसरों अधूरी जानकारी दी। आवेदन में 28 मई 2014 से लेकर अब तक कराए गए काम की जानकारी मांगी गई थी, लेकिन संबंधित विभाग के अफसरों ने इसमें भी खेल करते हुए सिर्फ 2018 से लेकर अब तक कराए गए कार्यों व भुगतान की जानकारी ही दी है, जबकि कागजों में 2018 से पहले भी जगबंधन की उपस्थिति दर्शाते हुए इस मामले से जुड़े लोगों ने लाखों रुपए की हेराफेरी कर चुके हैं।
दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी…. सीईओ
जनपद पंचायत सीईओ नीलेश सोनी ने बताया कि मामला संज्ञान में आया है। मामले की जांच कर दोषी कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
भुगतान की पूरी जांच कराएंगे…. कलेक्टर
कलेक्टर गौरव कुमार सिंह ने बताया कि दूरस्थ क्षेत्र होने के कारण वहां कर्मचारी फर्जीवाड़ा करते रहते हैं, लेकिन मामला सामने आ गया है तो जांच कर दोषियों पर तत्काल कार्रवाई की जाएगी।
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