आज यानी सोमवार, 26 अगस्त को भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जा रहा है। द्वापर युग में भगवान विष्णु ने भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी पर श्रीकृष्ण अवतार लिया था। इस बार जन्माष्टमी पर सोमवार और रोहिणी नक्षत्र का योग होने से सर्वार्थसिद्धि योग बन रहा है। इस योग में किए गए पूजा-पाठ अक्षय पुण्य देते हैं।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, श्रीकृष्ण विष्णु जी के आठवें अवतार हैं। द्वापर युग में जब अधर्म बढ़ रहा था, तब विष्णु जी ने धर्म की स्थापना करने के लिए श्रीकृष्ण अवतार लिया था। श्रीकृष्ण की वजह से कंस, जरासंध, कालयवन जैसे असुरों का अंत हुआ। भगवान ने पांडवों की मदद करके अधर्मी कौरव वंश का नाश करवाया। भगवान श्रीकृष्ण की पूजा में कृं कृष्णाय नम: मंत्र का जप करना चाहिए। जानिए जन्माष्टमी पर पूजा-पाठ से जुड़ी कौन-कौन सी बातें ध्यान रखनी चाहिए…
- भगवान श्रीकृष्ण की पूजा में भोग लगाते समय तुलसी के पत्ते जरूर रखना चाहिए। माना जाता है कि भगवान तुलसी के बिना भोग स्वीकार नहीं करते हैं। तुलसी को विष्णु प्रिया कहा जाता है। इसलिए कृष्ण पूजा में तुलसी अनिवार्य रूप से रखें।
- श्रीकृष्ण की पूजा में मोर पंख, वैजयंती की माला, दक्षिणावर्ती शंख, गौमाता की मू्र्ति, माखन-मिश्री, बांसुरी भी रखनी चाहिए। जन्माष्टमी की रात पूजा में भगवान को झूला भी झूलाने की परंपरा है।
- श्रीकृष्ण का अभिषेक दक्षिणावर्ती शंख से करें। शंख में केसर मिश्रित दूध भरें और भगवान को स्नान कराएं। दूध के बाद शुद्ध जल से भगवान का अभिषेक करें। जल में तुलसी के पत्त भी डाल सकते हैं। इसके बाद भगवान का नए वस्त्र, हार-फूल से श्रृंगार करें। चंदन का तिलक लगाएं। भगवान को अबीर, गुलाल, मोर पंख, माला, माखन-मिश्री, तुलसी आदि पूजन सामग्री चढ़ाएं। कृं कृष्णाय नम: मंत्र का जप करें और धूप-दीप जलाकर आरती करें।
- सोमवार और जन्माष्टमी के योग में श्रीकृष्ण के साथ भगवान शिव का भी अभिषेक करना चाहिए। शिवलिंग पर तांबे के लोटे से जल चढ़ाएं। बिल्व पत्र, धतूरा, आंकड़े के फूल, गुलाब से शिवलिंग का श्रृंगार करें। चंदन का लेप करें। धूप-दीप जलाएं। मिठाई का भोग लगाएं। आरती करें और ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जप करें।
- गौ माता श्रीकृष्ण को प्रिय मानी गई हैं, इसलिए श्रीकृष्ण पूजा के बाद किसी गोशाला में गायों की देखभाल के लिए धन का दान करें। गायों को हरी घास खिलाएं।
- श्रीकृष्ण ने स्वयं गोवर्धन पर्वत को पूजनीय बताया है। इसलिए इस पर्व पर गिरिराज की भी विशेष पूजा करनी चाहिए। संभव हो तो इस दिन गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा कर सकते हैं।