भोपाल….
गांव में कौन सी बीमारी के लोग अधिक, वैसा मिल सकेगा इलाज
ग्रामीण इलाकों में आयुष स्वास्थ्य सेवाओं को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाने के लिए मध्य प्रदेश सरकार ने एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। अब हर गांव के आयुष औषधालय, चिकित्सालय या आयुष्मान आरोग्य मंदिर में जन आरोग्य समिति का गठन होगा। उनके स्वतंत्र बैंक खातों में सीधी वित्तीय सहायता ट्रांसफर की जाएगी। इससे हर संस्था अपनी जरूरत के हिसाब से विकास कार्य खुद तय कर सकेगी।
गांव में जिस तरह की बीमारी के अधिक लोग हैं, उनके स्वास्थ्य को देखते हुए विकास कार्य और उपकरण सहित अन्य दवाएं खरीदी जा सकेंगी। यह निर्णय आयुष मंत्री इंदर सिंह परमार के नेतृत्व में लिया गया है।
आयुष मंत्रालय भारत सरकार के निर्देश पर यह कार्य किया गया है। आयुष विभाग ने सभी जिलों के आयुष अधिकारियों को आदेश जारी कहा कि वे जल्द से जल्द जन आरोग्य समितियां गठित करें और उनके बैंक खाते खोलने की प्रक्रिया शुरू करें।
समिति के नाम से अलग बैंक खाता खोला जाए। संचालन के लिए विस्तृत गाइडलाइन भी भेजी गई है। अपर सचिव आयुष विभाग संजय कुमार मिश्र ने सभी जिला कलेक्टर्स सहित अन्य अधिकारियों को आदेश जारी कर दिया है।
अभी है यह व्यवस्था….
मप्र में अभी सेंट्रलाइज्ड व्यवस्था है। इसके चलते किसी भी केंद्र मंे कोई विकास कार्य करना है या दवाएं मंगवानी है तो इसके लिए वरिष्ठ केंद्र होते हुए संचालनालय तक फाइल पहुंचती है। संचालनालय में फाइल पहुंचने के बाद इसके लिए बल्क में बजट स्वीकृत होकर भुगतान किया जाता है, लेकिन इसमें काफी समय लग जाता है। नई व्यवस्था के तहत अब सीधे ग्रामीण क्षेत्र स्तर पर ही खरीदी हो सकेगी।
अब यह होगा बदलाव….
- हर आयुष संस्थान के पास होगा खुद का बैंक खाता।
- विकास योजनाओं की प्राथमिकता खुद तय कर सकेंगे
- बजट के लिए किसी दूसरे विभाग या दफ्तर के मोहताज नहीं होंगे।
- शासन सीधे जन आरोग्य समिति के खाते में फंड डालेगा।
कहां बनेगी समिति…?
- सभी आयुष औषधालयों में
- आयुष्मान आरोग्य मंदिरों में
- ग्रामीण क्षेत्र के आयुष विंग और चिकित्सालयों में