खंडवा….

- निर्माण कार्यों से भुगतान तक के सर्वेसर्वा सरपंच-सचिव
जबकि इसकी जिम्मेदारी जनपद पंचायत सीईओ और एएओ की होती है। वहीं जपं सीईओ निकिता मंडलोई ने बताया कि निर्माण कार्यों के बिल लगाने से लेकर भुगतान तक के सर्वे सर्वा सरपंच-सचिव ही होते हैं। हमारे हस्ताक्षर के बिना ये पोर्टल पर बिल लगाकर राशि का आहरण कर सकते हैं। शिकायत पर जांच और कार्रवाई करते हैं।
मप्र पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग का पंचायत दर्पण पोर्टल भी इसका एक उदाहरण है। विभाग ने पंचायतों को पंचायत दर्पण पोर्टल की सुविधा इसलिए दी है ताकि इस निधि से पंचायत के छोटे-बड़े कार्यों का निर्माण कार्य हो सके। लेकिन पंचायतें इसका जमकर दुरुपयोग कर रही है। 2014 में पोर्टल लांच हुआ था।
देखिए… राशि निकालने के लिए पंचायतों का कारनामा
ग्राम पंचायत धनगांव : सरपंच-सचिव ने पंचायत दर्पण पोर्टल पर नवंबर 2024 से मार्च 2025 तक मजदूरी भुगतान, सामग्री क्रय, मोटर पंप सुधार के नाम पर ही 41 धुंधले बिल लगाए और पांचवें वित्त की राशि से 11 लाख 29 हजार 423 रु. का आहरण कर लिया। इसमें भी 30 जनवरी को मोटर पंप सुधार के नाम से दस-दस हजार रु. के तीन बिल लगाकर 40 हजार रु. निकाले गए।
ग्राम पंचायत धनगांव : सरपंच-सचिव ने पंचायत दर्पण पोर्टल पर नवंबर 2024 से मार्च 2025 तक मजदूरी भुगतान, सामग्री क्रय, मोटर पंप सुधार के नाम पर ही 41 धुंधले बिल लगाए और पांचवें वित्त की राशि से 11 लाख 29 हजार 423 रु. का आहरण कर लिया। इसमें भी 30 जनवरी को मोटर पंप सुधार के नाम से दस-दस हजार रु. के तीन बिल लगाकर 40 हजार रु. निकाले गए।
ग्राम पंचायत रूधि: पोर्टल पर 5वें वित्त व पंचायत निधि कर की राशि का उपयोग कर अक्टूबर 2024 से जून 2025 तक मजदूरी भुगतान, अन्य सामग्री क्रय सहित अन्य मदों के 73 धुंधले बिल लगाकर 6 लाख 27 हजार 184 रु. की राशि का भुगतान संबंधित फर्मों को किया गया। पंचायत द्वारा ऐसे बिल पोर्टल पर लगाए गए जो कि पढ़ने में भी नहीं आ रहे।
खंडवा जनपद के भी धुंधले बिल….
जनपद पंचायत खंडवा ने भी सभागार की मरम्मत के लिए इसी तरह लाखों रुपए के धुंधले फर्जी बिल लगाकर वेंडरों को भुगतान करना बताया है। जानकारी के अनुसार जनपद पंचायत के पास ही स्थित सभागार, जिसकी लागत ही 10 लाख है। उसकी मरम्मत व सौंदर्यीकरण पर जनपद पंचायत ने करीब 20 लाख रु. खर्च करना बताया और राशि का आहरण भी पंचायत दर्पण पोर्टल से कर लिया।
शिकायत पर कार्रवाई करते हैं….
पोर्टल की मॉनिटरिंग नहीं होती, कोई शिकायत होती है तो उसकी जांच संबंधित अधिकारी से करवाते हैं। बिल लगने के बाद बिलों का ऑडिट भी होता है। इसमें कई पंचायतों द्वारा लगाए गए बिलों में फर्जीवाड़ा भी पाया जाता है। इसमें वसूली निकालकर उक्त पंचायत के खिलाफ कार्रवाई करते हैं। इन पंचायतों में भी धुंधले बिल लगाकर धांधली की गई है तो कार्रवाई करेंगे। -निकिता मंडलोई, प्रभारी सीईओ, जपं खंडवा
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