इंदौर….

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि देश में आज शिक्षा और स्वास्थ्य आम लोगों की पहुंच से बाहर हो गए हैं। इन दोनों ही सेवाओं को कमर्शियल बना दिया गया है।
उन्होंने कहा कि भारत में धर्म और राष्ट्र एक ही बात है और इसके लिए किया जाने वाला कार्य ईश्वरीय कार्य है। भागवत ने सभी जाति-बिरादरी के प्रमुखों से कमजोर वर्गों को ऊपर उठाने के लिए मिलकर प्रयास करने की अपील की। उन्होंने कहा, हम हिंदू हैं, और हर हिंदू का सुख-दुख हमारा सुख-दुख है। राष्ट्र और हिंदू समाज के प्रश्नों का समाधान मिलकर करें।
संघ प्रमुख ने रविवार को इंदौर में माधव सृष्टि के कैंसर केयर सेंटर का शुभारंभ किया। उन्होंने सेंटर की बिल्डिंग और संसाधनों का बारीकी से निरीक्षण किया। साथ ही जीवन यात्रा पर आधारित प्रदर्शनी भी देखी।
स्वास्थ्य और शिक्षा न सहज, न सुलभ और न ही सस्ती….
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा- स्वास्थ्य और शिक्षा ये दो विषय ऐसे हैं। आज के समय में ये समाज के लिए बहुत बड़ी आवश्यकता बन गई है। लेकिन दुर्भाग्य ऐसा है कि ये दोनों बातें आज सामान्य व्यक्ति के पहुंच से बाहर है। उसकी आर्थिक सामर्थ्य की पहुंच के बाहर है। ये सहज, सुलभ नहीं रही और सस्ती भी नहीं है।
भागवत ने कहा- ये सामान्य व्यक्ति की पहुंच के बाहर इसलिए हो जाती है कि पहले ये दोनों काम सेवा के नाते किए जाते थे। आज इसको भी कमर्शियल बना दिया गया है। आज दोनों महंगे होने से हर व्यक्ति के बस में नहीं हैं।
ट्रिलियन डॉलर का धंधा बन चुका है चिकित्सा व्यवसाय….
मोहन भागवत ने महंगी चिकित्सा सेवा को लेकर कहा कि किसी मंत्री ने भी कहा था कि यह ट्रिलियन डॉलर का धंधा बन चुका है। साथ ही चिंता जताई कि आज अच्छे इलाज के लिए लोगों को दूर जाना पड़ता है।
कैंसर जैसे रोगों के लिए भारत में केवल दस-बारह शहरों में ही इलाज की बेहतर सुविधा है। ऐसे में बीमार परिवार पर आर्थिक और मानसिक, दोनों तरह का बोझ बढ़ जाता है। अधिक अस्पताल और अधिक चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध होने से ही इलाज सस्ता हो सकता है। उन्होंने कहा कि इंदौर के कार्यकर्ताओं ने संकल्प लेकर इस कैंसर केयर सेंटर को बनाया है, जिसे निरंतर चलाना होगा।
मोहन भागवत ने ऐसे बताई शिक्षक की भूमिका….
भागवत बोले- मैं बचपन में एक बार मलेरिया के कारण बीमार पड़ा और तीन दिन स्कूल नहीं गया तो मेरे शिक्षक मेरे घर आए और हालत जानी। फिर दूसरे दिन भी आए। वे जंगल में जाकर मेरे लिए कुछ जड़ी बूटी लाए। उन्होंने मेरे पिताजी को बताया कि इसका काढ़ा पिलाइए यह जल्दी ठीक हो जाएगा।
भागवत ने कहा- यह शिक्षक का काम नहीं था, जबकि सरकारी स्कूल था। उन्हें इसका वेतन नहीं मिलता था। शिक्षक ने यह सर्वभाव से किया क्योंकि तब पढ़ाना आजीविका का साधन नहीं था। दरअसल तब छात्र पढ़े यह शिक्षक की जिम्मेदारी होती थी।
चिकित्सक बिना बुलाए मरीज की सेवा करते थे….
भागवत ने कहा कि पहले चिकित्सक को पता चला कि किसी घर में कोई बीमार है तो बिना बुलाए पहुंचते थे। जब तक संबंधित ठीक नहीं होता था, तब तक विश्राम नहीं करते थे क्योंकि चिकित्सा करना एक कर्त्तव्य है। अब ऐसा है कि कितना खर्च होता है। इसका हिसाब करना पड़ता है और आवश्यकता तो वही रही।
डॉक्टर मरीजों से संवाद कर उन्हें हिम्मत देते थे….
भागवत ने कहा कि पहले डॉक्टर मरीजों से संवाद कर उन्हें हिम्मत देते थे। उन्होंने एक किस्सा सुनाया कि पहले डॉक्टर जिनका मरीजों की स्थिति से कोई संबंध नहीं होता था, लेकिन फिर भी वे पूछताछ करते थे, उन्हें हिम्मत थे।
एक बार एक कैंसर के मरीज ने डॉक्टर से कहा- मेरा बेटा पढ़ रहा है, बेटी की शादी करना है और कर्जा भी है। इसी दौरान मरीज के एक मित्र थे, जो साधन संपन्न थे, उनके घर आए। उन्होंने उससे पूछा कि बेटे के इंजीनियरिंग का कितना खर्चा है, बेटी की शादी का खर्चा, कर्ज कितने का है? सारा पूछा कि कितना है।
मरीज ने कहा कि करीब 10 लाख रुपए है। उन्होंने अपने चेक पर 10 लाख रुपए भरे, साइन किए और देते हुए कहा कि अब चिंता नहीं करना है। इससे मरीज में हिम्मत आ गई और ठीक हो गया।
वह अभी भी जीवित है और काम कर रहा है। मदद करने वाले मित्र का मानना था कि मैं साधन संपन्न हूं लेकिन इतना नहीं हूं। उसने बाद में कहा कि मेरे पास इतने रुपए नहीं थे लेकिन कहा कि मैं कुछ करता हूं। यही आज की आवश्यकता है।

विश्व के 50-60 घरानों के गठजोड़ का लक्ष्य भारत के बाजार पर कब्जा करना….
डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि समाज है तो सद्भावना है, समाज यानी अपनेपन का संबंध। यह मात्र सोशल कॉन्ट्रैक्ट नहीं, बल्कि व्यक्ति और परिवार दोनों की सत्ता है। समाज का उद्देश्य धर्मयुक्त जीवन होना चाहिए। उन्होंने चेताया कि मनुष्य को केवल शरीर और उपभोग की वस्तु मानने वाला विचार यूरोप को तबाह कर चुका है और अब यही विचार भारत की परिवार व्यवस्था को कमजोर करने की कोशिश कर रहा है। इसके पीछे कुछ विश्व के 50-60 घरानों का गठजोड़ है, जिनका लक्ष्य भारत के बाजार पर कब्जा करना है।
भागवत बोले- हर हिंदू का सुख-दुख हमारा सुख-दुख….
उन्होंने कहा कि भारत में धर्म और राष्ट्र एक ही बात है और इसके लिए किया जाने वाला कार्य ईश्वरीय कार्य है। स्वामी दयानंद सरस्वती और स्वामी विवेकानंद जैसे महापुरुषों ने जात-पात से ऊपर उठकर समाज में राष्ट्रभाव जाग्रत करने का कार्य किया।
सरसंघचालक ने सभी जाति-बिरादरी के प्रमुखों से स्थानीय स्तर पर बैठकर अपनी बिरादरी के उत्थान और कमजोर वर्गों को ऊपर उठाने के लिए मिलकर प्रयास करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, हम हिंदू हैं, और हर हिंदू का सुख-दुख हमारा सुख-दुख है। राष्ट्र और हिंदू समाज के प्रश्नों का समाधान मिलकर करें।

इंदौर-उज्जैन संभाग के 180 समाजों के प्रमुखों से संवाद किया….
इससे पहले रविवार सुबह भागवत ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर में आयोजित सामाजिक सद्भाव बैठक में शामिल हुए। जहां इंदौर-उज्जैन संभाग के 180 समाजों के प्रमुखों से संवाद किया। इस बैठक में देश और समाज में परिवर्तन से जुड़े अलग-अलग विषयों पर भागवत ने अनुभव साझा किए। साथ ही उनकी परेशानियों, समाधान, अपेक्षाओं और सामाजिक उत्थान से जुड़े संभावित परिवर्तनों के अलावा राष्ट्रीय, सामाजिक और स्थानीय मुद्दों पर भी चर्चा की।
शाम 5 बजे तक चली इस बैठक में डॉ. मोहन भागवत विभिन्न संवाद सत्रों में शामिल हुए। उन्होंने संघ के शताब्दी वर्ष के अवसर पर ‘पंच परिवर्तन’ के अंतर्गत स्वदेशी जीवनशैली, कुटुंब प्रबोधन, पर्यावरण संरक्षण, नागरिक अनुशासन और समरसता जैसे विषयों पर भी विचार रखे। संघ प्रमुख ने शताब्दी वर्ष 2 अक्टूबर के लिए कार्यक्रमों पर भी चर्चा की।
क्या है पंच परिवर्तन या लक्ष्य
- पहला- स्वदेशी की भावना को बढ़ावा देना।
- दूसरा – नागरिक कर्तव्यों का पालन करना।
- तीसरा – सामाजिक समरसता स्थापित करना।
- चौथा – पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक करना।
- पांचवां – परिवार प्रबोधन
इस दौरान पांच तरह के कार्यक्रम होंगे….
- दो अक्टूबर को स्थापना दिवस के दिन नए व पुराने स्वयं सेवक गणवेश में एकत्र होंगे। जहां 100 या 100 से अधिक संख्या होगी, वहां पथ संचलन भी होगा। यह कार्यक्रम शहर की छोटी बस्तियों के स्तर पर और गांव में पंचायत के स्तर पर होंगे।
- घर-घर संपर्क कर संघ के स्थापना के उद्देश्यों के साथ पर्यावरण और सामाजिक समरसता से जुड़ी जानकारी देंगे।
- शहर की छोटी बस्ती व पंचायत के स्तर पर हिन्दू सद्भाव मिलन आयोजित किया जाएगा। यह पूरी सादगी के साथ करेंगे।
- ब्लॉक स्तर पर समाज के प्रभावी लोगों, जाति के प्रमुख लोगों, ब्लॉक के प्रमुख धार्मिंक व्यक्तियों की सद्भाव बैठक होगी।
- जिला स्तर के बुद्धिजिवियों, प्रभावशाली लोगों की बैठक होगी। इसमें किसी तरह का आडंबर नहीं होगा। इन बैठकों में पंच परिवर्तन के लक्ष्यों को प्राप्त कैसे करें, इस पर चर्चा होगी

जनभागीदारी से बन रहा है कैंसर केयर सेंटर….
इंदौर में 96 करोड़ रुपए की लागत से कैंसर केयर हॉस्पिटल बन रहा है। यह प्रोजेक्ट दो चरणों में तैयार किया जा रहा है। पहले चरण में लगभग 26 करोड़ रुपए की लागत से निर्माण कार्य पूर्ण किया गया है। इसमें दो बेसमेंट, ग्राउंड फ्लोर और तीन मंजिलों का निर्माण शामिल है।
दूसरे चरण में हाईटेक मशीनरी और अन्य फ्लोर का निर्माण किया जाएगा। यह संपूर्ण प्रोजेक्ट जनभागीदारी से बन रहा है। इसमें कंपनियों ने सीएसआर (CSR) के तहत दान दिया है। अन्य दानदाताओं ने भी योगदान दिया है।

इस साल अब तक डॉ. भागवत की इंदौर यात्राएं….
डॉ. मोहन भागवत इस साल पहली बार 3 जनवरी को इंदौर आए थे। वे यहां आरएसएस शताब्दी कार्यक्रम ‘स्वर शतकम’ में शामिल हुए थे। उन्होंने कहा था कि “हर अग्रपंक्ति में हमारा देश होना चाहिए। ऐसा भारत संघ के कार्य से खड़ा होगा और इसलिए संघ कार्य में जो आवश्यक होगा, वह मैं करूंगा।”
इसके बाद 13 जनवरी को वे फिर इंदौर आए थे, जहां उन्होंने श्री रामजन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट के महामंत्री चंपत राय को देवी अहिल्या राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया था। उस समय उन्होंने कहा था, “लोग पूछते थे कि राम मंदिर क्यों जरूरी है? रोजगार, गरीबी, स्वास्थ्य और मूलभूत सुविधाओं की बात क्यों नहीं करते? मैं कहता था कि रोजगार और खुशहाली का रास्ता भी राम मंदिर से होकर जाता है।