नई दिल्ली….
केंद्र सरकार ने प्राइवेट (नॉन-ट्रांसपोर्ट, वाइट नंबर प्लेट) मोटरसाइकिल्स को राइड-शेयरिंग और बाइक टैक्सी सर्विसेज के लिए इस्तेमाल करने की परमिशन दे दी है। रोड ट्रांसपोर्ट मंत्रालय (MoRTH) ने अपनी एनुअल रिपोर्ट मोटर व्हीकल एग्रीगेटर गाइडलाइन्स (MVAG) 2025 में इसकी जानकारी दी है।
ये सर्विस रैपिडो, उबर और ओला जैसे एग्रीगेटर प्लेटफॉर्म्स के जरिए चलेंगी, लेकिन इन प्लेटफॉर्म्स को राज्य सरकारों से मंजूरी लेनी होगी। 2020 के बाद से भारत में बाइक-शेयरिंग, इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (EV) और ऑटो-रिक्शा राइड्स की डिमांड तेजी से बढ़ने के कारण ये फैसला लिया गया है।

क्या है नई गाइडलाइन्स?
- राज्य सरकारें तय करेंगी कि वो अपने यहां प्राइवेट बाइक्स को टैक्सी सर्विस के लिए इजाजत दें या नहीं।
- राज्य सरकारें एग्रीगेटर्स (जैसे उबर, रैपिडो) से डेली, वीकली, या पखवाड़े के हिसाब से फीस वसूल सकती हैं।
- ड्राइवर्स के पास वैलिड ड्राइविंग लाइसेंस, इंश्योरेंस और गाड़ी की अच्छी कंडीशन होनी जरूरी है।
- कस्टमर की तरफ से राइड कैंसिल होने पर भी उसे किराए का 10% या अधिकतम ₹100 पेनाल्टी के तौर पर देना होगा।
- एग्रीगेटर्स को कैब ड्राइवर्स को मिलने वाली रेटिंग की हर 3 महीने में समीक्षा कर एक रिपोर्ट बनानी होगी।
- किसी ड्राइवर की रेटिंग 5 से कम है, तो उसे ट्रेनिंग से गुजरना होगा। ड्राइवर फिर भी फेल होता है, तो उसकी सेवाएं खत्म की जाएंगी।
- गाड़ी में लोकेशन ट्रैकिंग डिवाइस लगाकर कंपनी के सेंट्रल सर्वर से जोड़ना होगा। लोकेशन डेटा को राज्य के कंट्रोल और कमांड सेंटर से लिंक करना होगा।
- केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को सलाह दी है कि वे अगले तीन महीनों, यानी सितंबर 2025 तक इन नए नियमों को लागू करें।
- कैब सर्विस एग्रीगेटर्स को ड्राइवर्स के लिए 5 लाख रुपए का हेल्थ इंश्योरेंस और 10 लाख रुपए का टर्म इंश्योरेंस देना होगा।
- अगर ड्राइवर अपनी बाइक यूज करता है, तो उसे कम से कम 80% फेयर मिलेगा। अगर बाइक एग्रीगेटर की है, तो ड्राइवर को 60% फेयर मिलेगा।
- पीक ऑवर्स में एग्रीगेटर्स बेस फेयर का दोगुना तक चार्ज कर सकते हैं, लेकिन कोई हिडन चार्ज नहीं होगा।