- रात एक बजे के बाद सोने वालों के मानसिक स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ता है और यह सिलसिला बना रहे, तो सेहत को और भी कई नुक़सान हो सकते हैं। जानिए कि क्या है इसकी वजह, और नींद को बेहतर कैसे बनाया जा सकता है।
क्या वजह है इसकी?
ज़्यादातर मामलों में देर रात सोने से अक्सर नींद की कुल अवधि कम हो जाती है। हम कहेंगे कि गुणवत्तापूर्ण नींद की मियाद कम हो जाती है, यानी रैपिड आई मूवमेंट (आरईएम) नींद प्रभावित होती है। रैपिड आई मूवमेंट वाली नींद, नींद की वह अवस्था है जिसमें सबसे ज़्यादा सपने आते हैं, जो रात के दूसरे भाग के दौरान सबसे अधिक होता है। देर रात तक जागने पर रैपिड आई मूवमेंट (आरईएम) वाली गहरी नींद पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
लंदन के इंपीरियल कॉलेज द्वारा किए एक नए अध्ययन में बताया गया कि आरईएम यानी गहरी नींद दिमाग़ के बेहतर काम करने के लिए ज़रूरी होती है। देर से सोने के कारण यह नींद कम हो जाती हैै। आरईएम नींद का मूड के साथ एक गहरा और मज़बूत संबंध है- यानी, कम आरईएम होने पर आपका मूड ख़राब हो सकता है। आरईएम नींद में बदलाव के कारण कई तरह के मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े विकारों के होने का ख़तरा रहता है।
गहरी नींद की स्थिति जो कि रात एक बजे के बाद ही बन पाती है, उसके बनने और बने रहने के लिए कुछ पहले सो जाना ज़रूरी है। आरईएम नींद स्वस्थ अवधि तक तभी बनी रह सकती है, जब उसे शोर और रोशनी से बाधित ना होना पड़े, जो कि सुबह होते-होते होने लगता है। अगर गहरी नींद सुबह छह बजे तक पूरी हो जाती है, तो व्यक्ति तरोताज़ा महसूस करता है, जो अच्छी मानसिक सेहत देगा। अध्ययन में पाया गया है कि जो लोग रात एक बजे से पहले सो जाते हैं, वे आमतौर पर मानसिक रूप से अधिक स्वस्थ होते हैं तथा उनमें मानसिक, व्यावहारिक और तंत्रिका-विकास संबंधी विकार, अवसाद और सामान्य चिंता व विकार के मामले कम होते हैं।
वहीं, जैसा कि शोध से साबित हुआ है रात में देर से सोना कई बीमारियों को उत्पन्न कर सकता है, जैसे- हृदय रोग और मधुमेह। ख़राब नींद की आदतें सेहत को ख़तरे में डालने वाली स्थितियां बना सकती हैं, जैसे तनाव में वृद्धि, प्रेरणा में कमी, दिन में सक्रियता में कमी, अस्वास्थ्यकर भोजन का सेवन आदि। अच्छी नींद स्वास्थ्य की आवश्यकता है। समय पर सोना व कम से कम सात-आठ घंटे की नींद लेना ज़रूरी है। एक-दो दिन की नींद की कमी ठीक हैै। लेकिन अगर महीनों या सालों तक नींद की कमी बनी रहे, तो दिल की सेहत और रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रभावित होती है।
बेहतर नींद के लिए क्या करें…
1- आपको यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आप समय पर सोने जाएं, साथ ही गुणवत्तापूर्ण नींद भी लें। इसके लिए आप कुछ उपायों को अपना सकते हैं। भूखे पेट या खाना खाने के तुरंत बाद बिस्तर पर न जाएं। ख़ासतौर पर, सोने से कुछ घंटे पहले भारी या बहुत ज़्यादा खाना खाने से बचें। सोने से पहले निकोटीन, कैफ़ीन और शराब का सेवन न करें। निकोटीन और कैफ़ीन के उत्तेजक प्रभाव को ख़त्म होने में घंटों लग जाते हैं और ये नींद में बाधा डाल सकते हैं।
2- सोने से पहले कुछ शांतिदायक गतिविधियां करना, जैसे नहाना या विश्राम तकनीक का प्रयोग करना, बेहतर नींद लाने में मदद कर सकता है।
3- अपने तनाव और चिंताओं का प्रबंधन करें। सोने से पहले अधिक सोचना आपकी नींद को प्रभावित कर सकता है। सोने से पहले दिन में घटी अच्छी बातों के बारे में सोचें। पालथी लगाकर बैठें, आंखें बंद करके सांस की सामान्य गति पर ध्यान लगाएं, इसके बाद सोने जाएं।
4- दिन में लंबी झपकी रात की नींद में बाधा डाल सकती है। झपकी आधा-पौन घंटे से ज़्यादा न लें और देर तक झपकी लेने से बचें। नियमित व्यायाम बेहतर नींद को बढ़ावा दे सकता है।
आरामदायक माहौल बनाएं…
- अपने कमरे को ठंडा, अंधेरा और शांत रखें।
- रात को रोशनी के संपर्क में आने से नींद आना मुश्किल हो सकता है। सोने से ठीक पहले प्रकाश उत्सर्जित करने वाली स्क्रीन जैसे टीवी, मोबाइल और लैपटॉप के इस्तेमाल से बचें।
- अपनी ज़रूरतों के हिसाब से नींद का माहौल बनाने के लिए कमरे में अंधेरा करने वाले शेड, सुकूनदेह पंखे या अन्य उपकरण का इस्तेमाल करें।
- आपके मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर रखने में नींद की महत्वपूर्ण भूमिका है इसलिए नींद को लेकर लापरवाही ना बरतें, समय से सोने जाएं और नियमित रूप से गुणवत्तापूर्ण नींद लें।
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