MP में सिविल जज भर्ती में अनुभव की शर्त खारिज….
बता दें, मप्र हाईकोर्ट ने 13 जून, 2024 को एक आदेश में उम्मीदवारों के पास वकील के रूप में लगातार 3 वर्षों का अनुभव या उत्कृष्ट लॉ ग्रेजुएट होना, सामान्य और ओबीसी के लिए 70% और एससी/एसटी के लिए 50% मार्क्स अनिवार्य कर दिए थे।
उन उम्मीदवारों को बाहर करने का निर्देश दिया गया था, जिन्होंने सिविल जज, जूनियर डिवीजन (प्रवेश स्तर) भर्ती परीक्षा, 2022 की प्रारंभिक परीक्षा सफलतापूर्वक उत्तीर्ण की थी। हालांकि, संशोधित भर्ती नियमों को पूरा करने में अयोग्य पाए गए। छात्रों ने हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट का आदेश किया रद्द….
सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के इस आदेश के खिलाफ अपील स्वीकार की। जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस एएस चंदुरकर की खंडपीठ ने कहा– “पुनर्विचार अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करते हुए हाईकोर्ट का 13 जून का आदेश रद्द किया जाता है। अपील स्वीकार की जाती है।”
जानिए, एमपी में क्या थे भर्ती नियम….
मध्यप्रदेश न्यायिक सेवा (भर्ती एवं सेवा शर्तें) नियम, 1994 में संशोधन करते हुए संशोधित भर्ती नियम 23 जून, 2023 को अधिसूचित किए गए थे। इनमें कहा गया कि सिविल जज के लिए उम्मीदवारों के पास या तो वकील के रूप में लगातार 3 वर्षों का अनुभव होना चाहिए या उत्कृष्ट लॉ ग्रेजुएट होना चाहिए।
उनका शैक्षणिक जीवन शानदार रहा हो, जिन्होंने “पहले प्रयास में सभी परीक्षाएं उत्तीर्ण” की हो और सामान्य एवं OBC श्रेणियों के लिए कुल मिलाकर “कम से कम 70 प्रतिशत अंक” प्राप्त किए हों। अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के उम्मीदवारों के लिए कुल मिलाकर कम से कम 50% अंक आवश्यक हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने दी परीक्षा देने की अनुमति….
रिट याचिकाओं (15150/2023) के एक सेट में संशोधित भर्ती नियमों को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। याचिकाओं (1380/2023) के एक अन्य सेट में सुप्रीम कोर्ट ने 15 दिसंबर, 2023 को अभ्यर्थियों को प्रारंभिक और लिखित परीक्षा में बैठने की अस्थायी अनुमति दी, जो याचिकाओं के पहले सेट के परिणाम के अधीन थी।
प्रारंभिक परीक्षाओं के परिणाम 10 मार्च, 2024 को असंशोधित नियमों के आधार पर घोषित किए गए। हालांकि, नियमों की वैधता पर हाईकोर्ट के निर्णय के अधीन हैं। मुख्य परीक्षाएं संशोधित नियमों के अनुसार आयोजित की गईं। 1 अप्रैल, 2024 को हाईकोर्ट ने रिट याचिका संख्या 15150 में संशोधित नियमों की वैधता बरकरार रखी। 26 अप्रैल, 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने भी इस पर रोक लगाने से इनकार कर दिया।
हाईकोर्ट में एक और रिट याचिका दायर की गई, जिसमें प्रारंभिक परीक्षा के परिणामों को रद्द करने, संशोधित नियमों के अनुसार अंकों का पुनर्मूल्यांकन करने और मुख्य परीक्षा फिर से आयोजित करने की मांग की गई। इसे 7 मई, 2024 को इस आधार पर खारिज कर दिया गया कि चूंकि उम्मीदवार प्रारंभिक परीक्षा में कट-ऑफ अंक प्राप्त नहीं कर सके, इसलिए वे पात्र नहीं हैं। इस आदेश के विरुद्ध पुनर्विचार याचिका दायर की गई।
कोर्ट ने आदेश में गलती बताते हुए वापस ले लिया….
एक्टिंग चीफ जस्टिस शील नागू और जस्टिस अमर नाथ की खंडपीठ ने 7 मई के अपने आदेश को त्रुटिपूर्ण बताते हुए वापस ले लिया। इसने स्पष्ट किया कि प्रारंभिक परीक्षा के चरण से लेकर अब तक की पूरी भर्ती प्रक्रिया संशोधित नियमों की वैधता को चुनौती देने वाली रिट याचिकाओं के परिणाम के अधीन थी।
अदालत ने जारी विज्ञापन के खंड 7(2) के अंतर्गत 1:10 के अनुपात में कट-ऑफ की पुनर्गणना करने का भी आदेश दिया। अदालत ने स्पष्ट किया कि नए नियमों को लागू करने और अयोग्य उम्मीदवारों को बाहर करने के बाद पुनर्गणना की गई कट-ऑफ के अनुसार पर्याप्त मार्क्स वाले उम्मीदवारों को नए कॉल लेटर जारी किए जाएंगे। पहली बार प्रारंभिक परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले उम्मीदवारों को नई मुख्य परीक्षा में बैठने के लिए आमंत्रित किया जाएगा। जब तक ये सुधारात्मक उपाय नहीं किए जाते, भर्ती प्रक्रिया रोक दी जाएगी।
पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा था…?
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल सितंबर में अपने आदेश में कहा था– “हमारी समझ से अयोग्य उम्मीदवारों की नियुक्ति नहीं की जा सकती। हालांकि, अंतरिम आदेशों के कारण कुछ अयोग्य उम्मीदवारों को लिखित परीक्षा में बैठने की अनुमति दी गई। अंततः केवल उन्हीं उम्मीदवारों पर विचार किया जा रहा है, जो पात्रता मानदंडों को पूरा करते हैं। इस बीच, विवादित आदेश के क्रियान्वयन पर रोक लगाई जाती है।”