पटना….
10 जुलाई को आर्थिक अपराध इकाई (EOU) की कार्रवाई में प्रमोद की अकूत संपत्ति बनाने का खुलासा हुआ है।
इससे पहले 27 जून को भी EOU ने बिहार राज्य खाद्य निगम के अकाउंटेंट राजेश कुमार के ठिकानों पर छापेमारी की थी। इनके पास भी पटना, हाजीपुर और मुजफ्फरपुर में 12 प्रॉपर्टी का पता चला है।
हालांकि, दोनों ही मामले में EOU की जांच जारी है। अभी चार्जशीट नहीं दाखिल की गई है।
संडे बिग स्टोरी में पढ़िए, प्रमोद कुमार और राजेश कुमार कैसे काली कमाई करते थे? कहां-कहां अकूत संपत्ति बनाया है?
कहानी-1ः पहले कमीशन फिक्स करता, तब दिलवाता था ठेका….
इंजीनियर प्रमोद कुमार सीतामढ़ी के सोनवर्षा के रहने वाला है। बिहार सरकार में नौकरी मिलने से पहले जमशेदपुर की एक प्राइवेट कंपनी में बतौर इंजीनियर काम कर रहा था। उस दौरान उसकी लाइफ स्टाइल बिल्कुल सिम्पल थी। संपत्ति के नाम पर सिर्फ पैतृक प्रॉपर्टी ही थी।
2015 में बिहार राज्य शैक्षणिक आधारभूत संरचना विकास निगम (BSEIDC) में कंट्रैक्ट पर प्रमोद कुमार का सिलेक्शन हुआ। सहरसा में पोस्टिंग मिली। सहरसा के 1200 स्कूलों की बिल्डिंग, उसकी दीवार, ट्यूबवेल बनवाने और उसके मेंटनेंस की बड़ी जिम्मेवारी थी। EOU की जांच में सामने आया कि प्रमोद काली कमाई करने लिए 4 तरीके अपनाता था…
पहला तरीका- 30 प्रतिशत तक लेता था कमीशन….
EOU की जांच में सामने आया है कि प्रमोद स्कूल की बिल्डिंग या मेंटेनेंस का ठेका सेटिंग के जरिए अपने पसंदीदा ठेकेदार को दिलवाता था। काम दिलवाने से पहले ही वो अपना हिस्सा तय कर लेता था। यह हिस्सा कुल बजट का 30 फीसदी तक होता था।
दूसरा तरीका- अपनी पसंद की दुकान से खरीदवाता था रॉ मटेरियल….
EOU के मुताबिक, प्रमोद के इलाके में काम कहीं भी हो, रॉ मटेरियल इनसे जुड़े लोगों के जरिए ही खरीदे जाते थे। इसमें ईंट, सीमेंट और छड़ शामिल है। इनकी क्वालिटी खराब होती थी। इसमें भी इनका कमीशन फिक्स था।
तीसरा तरीका- सही रिपोर्ट लिखने के लिए लेते थे रिश्वत….
EOU के मुताबिक, प्रमोद ठेकेदार के सही काम को भी गलत बताने के लिए अपने ही लोगों से दीवार का एक हिस्सा तोड़वा देते थे। उसके काम को खुद गलत बताते थे और फिर उसी काम की सही रिपोर्ट लिखने के लिए रिश्वत मांगते थे।
चौथा तरीका- काम 3 दिन का और पेमेंट एक दिन का….
EOU की जांच में सामने आया है कि सरकारी स्कूलों में कंस्ट्रक्शन वर्क होने पर मैन पावर भी प्रमोद उपलब्ध कराते थे। लगातार तीन की मजदूरी कराने के बाद मजदूर को उसके हक के रुपए नहीं मिलते थे। उसे महज एक दिन के काम के रुपए ही मिलते थे। ये रुपए भी कैश दिए जाते थे। जबकि, मजदूरों को रुपए उनके बैंक अकाउंट में देने का प्रावधान है।

वसूली के लिए एक प्राइवेट आदमी को साथ लेकर चलता था प्रमोद….
EOU के मुताबिक, एग्जीक्यूटिव इंजीनियर प्रमोद ने काली कमाई करने के लिए एक प्राइवेट आदमी को अपने साथ रखा था। जो सहरसा का रहने वाला ओम प्रकाश सिंह है। रुपए रिश्वत के हो या कमीशन के, सब यही वसूलाता था। कई ठेकेदारों को टेंडर दिलवाने में भी इसका अहम रोल रहा है। लंबे वक्त से ओम प्रकाश एग्जीक्यूटिव इंजीनियर का साथी बना हुआ है। इसके बारे में वहां के जिला प्रशासन और विभाग को भी जानकारी मिली थी। इसके बाद इंटरनल जांच भी हुई थी।
साढ़े तीन करोड़ से अधिक के जमीन के कागज मिले….
10 साल पहले जिस इंसान के पास प्रॉपर्टी के नाम पर सिर्फ एक पैतृक घर था, वो आज साढ़े तीन करोड़ से अधिक रुपए खर्च कर खरीदी गई कई जमीनों का मालिक बना हुआ है। इसके पास पटना में दानापुर के गोला रोड में तीन मंजिला आलीशान घर है। जो दो कट्ठा जमीन पर बना है।
घर से जब्त पेपर के मुताबिक, 2018 में जमीन को 34 लाख रुपए प्रति कट्ठा के हिसाब से खरीदा गया था। हालांकि, बाजार भाव उस वक्त भी इससे कहीं अधिक था।
जांच एजेंसी के अनुमान के अनुसार, आलीशान घर बनाने पर करीब डेढ़ करोड़ रुपए का खर्च हुआ है। इसके अलावा कई और जगहों पर जमीन खरीदने के कागजात छापेमारी के दौरान मिले थे। इसकी कीमत 3 करोड़ 54 लाख 64 हजार रुपए है।

घर से 5 लाख कैश, 12 बैंक अकाउंट में 18.84 लाख मिले….
भ्रष्टाचार के इस मामले में EOU ने कुल 6 ठिकानों पर छापेमारी की थी। इसमें प्रमोद के 3 ठिकाने सहरसा में किराए का घर, सोनवर्षा का पैतृक घर और पटना में गोला रोड का घर शामिल है। इस दरम्यान कुल 12 बैंक अकाउंट मिले। इसमें प्रमोद के नाम के 5, उसके बेटे के नाम के 4 और पत्नी के नाम 3 अकाउंट शामिल हैं। इनमें कुल 18 लाख 84 हजार 526 रुपए जमा थे। जिन्हें फ्रीज करा दिया गया है।
वहीं, पटना के घर से 5 लाख 29 हजार रुपए कैश मिला था। इंश्योरेंस कंपनियों में भी बड़े स्तर पर इनके इन्वेस्टमेंट के कागजात मिले हैं। जांच एजेंसी ने इनके साथी ओम प्रकाश सिंह के सहरसा स्थित घर, ससुराल और पटना के राजीव नगर स्थित ठिकाने पर भी छापेमारी की थी।
EOU ने 9 जुलाई को पटना में एग्जीक्यूटिव इंजीनियर के खिलाफ 309 प्रतिशत आय से अधिक संपत्ति का केस दर्ज किया था। FIR में 3 करोड़ 25 लाख 9 हजार 930 रुपए की संपत्ति बताई गई थी। छापेमारी के बाद इससे भी कहीं अधिक मिली। फिलहाल प्रमोद और ओम प्रकाश सिंह फरार हैं।

दो महीने पहले खरीदी थी 18 लाख की स्कॉर्पियो….
प्रमोद गाड़ियों का शौकिन है। इसके ठिकानों से 5 गाड़ियां मिली। इनमें तीन फोर व्हीलर हैं। इसमें सबसे महंगी 18 लाख रुपए की स्कॉर्पियो है। छापेमारी के दिन से महज दो महीने पहले ही खरीदी गई थी। इसके अलावा एक सुमो, एक हुंडई की EON कार, एक नई बुलेट और एक स्कूटी मिली थी।
कहानी-2ः 10 साल में राजेश ने खरीदी 12 प्रॉपर्टी….
संडे बिग स्टोरी की दूसरी कहानी मोतिहारी में पोस्टेड बिहार राज्य खाद्य निगम के अकाउंटेंट राजेश कुमार की। अगस्त 2016 में कांट्रैक्ट पर इसे असिस्टेंट अकाउंटेंट की नौकरी मिली थी। तब सासाराम में पोस्टिंग मिली थी। शुरुआती सैलरी करीब 40 हजार रुपए की थी। करीब ढाई साल बाद इनका ट्रांसफर हाजीपुर और फिर वहां से ढाई साल बाद मोतिहारी हो गया।
फिलहाल इनकी सैलरी 48 हजार रुपए के करीब है। EOU ने 27 जून को इनके ठिकानों पर छापेमारी की, जिसमें 96 लाख रुपए की सरकारी रेट से खरीदी गई जमीन के कागज मिले। इनका बाजार भाव करोड़ में चला जाएगा। जबकि, नौकरी की शुरुआत से लेकर छापेमारी होने तक में राजेश ने करीब 35 लाख रुपए की ही कमाई की है।
EOU के मुताबिक, काली कमाई के जरिए राजेश ने तीन शहरों में 12 प्रॉपर्टी खरीद रखी है। इसमें पटना के गोला रोड में 35 लाख रुपए का एक फ्लैट (सरकारी वैल्यू), हाजीपुर में जमीन के 4 प्लॉट और मुजफ्फरपुर में 7 प्लॉट शामिल हैं। पटना के फ्लैट में अभी काम चल रहा है। वहीं, गांव में 6 कट्ठे की जमीन पर ये दो बड़े गोदाम भी बनवा रहा था।
6 साल पहले बनाया दो मंजिला घर….
राजेश मुजफ्फरपुर के कुढ़नी थाना के तहत करमाडीह गांव का रहने वाला है। एक साधारण परिवार से आता है। घर भी छप्पर वाला था। पिता दूसरे राज्य में जाकर पेंटिंग करते थे। नौकरी मिलने से पहले ही शादी हो गई थी। 3 बच्चे हैं। नौकरी में आने के बाद इसने गांव में अपने घर के पास ही जमीन खरीदी। 2018 में उस पर दो मंजिला घर बनाया। इसी घर में एक प्राइवेट स्कूल भी खोला। जिस जमीन पर ये गोदाम बनवा रहा है, वो भी घर के पास में ही है।
3 तरीकों से करता था काली कमाई….
EOU की अब तक की जांच के मुताबिक, राजेश 3 तरीकों से काली कमाई करता था।
पहला तरीका- दलालों के माध्यम से कराता था वसूली….
EOU के मुताबिक, राजेश अपनी काली कमाई के लिए कुछ दलाल रखता था। दलालों के माध्यम से ये अपना पूरा सिस्टम चलाता था। अनाज के रख-रखाव से लेकर उसकी सप्लाई के काम में दलाल ही उगाही करते थे।
दूसरा तरीका- गोदाम के किराए में हेराफेरी करता था….
EOU के मुताबिक, अनाज के स्टॉक को रखने के लिए गोदाम को किराए पर लेना इसी का काम था। इसके किराए में हेराफेरी करता था। किराया कुछ होता था, कागज पर कुछ और ही दिखाता था।
तीसरा तरीका- बिल में हेराफेरी करता था….
EOU के मुताबिक, राजेश की पोस्टिंग जहां भी रही, अपने काम के दौरान ये हर तरह के बिल में हेराफेरी करता था। कम रुपए खर्च होने के बाद भी बिल अधिक का बनाता था।

पत्नी के नाम से बनाई कंपनी….
EOU के मुताबिक, अपनी काली कमाई को छिपाने के लिए राजेश एक बड़े प्लान पर काम कर रहा था। इसने अपनी पत्नी प्रतिभा कुमारी के नाम से कंपनी बनाई है। गणपति ट्रेडर्स के नाम से रजिस्टर्ड कराया। फिर इसके लिए 2023 में GST के लिए आवेदन भी दिया।
साथ ही कंपनी के नाम पर मुजफ्फरपुर में बैंक ऑफ बड़ौदा से लोन के लिए अप्लाई भी किया। कितने के लोन की अप्लाई की गई थी और कंपनी क्या काम करती? अभी इसकी जांच चल रही है। बैंक से कितने का लोन मांगा गया था और कंपनी का रजिस्ट्रेशन हुआ या नहीं? इसकी भी जांच की जा रही है।
पत्नी से ज्यादा महिला मित्र को देता था टाइम….
जांच एजेंसी के अनुसार, पत्नी के अलावा राजेश की लाइफ में उसकी एक महिला मित्र भी है। जो बिहार राज्य खाद्य निगम में ही अकाउंटेंट है। राजेश अपनी पत्नी से अधिक महिला मित्र को टाइम देता है। आशंका है कि काली कमाई का एक हिस्सा मित्र के अकाउंट में भी गया है।
जांच एजेंसी के लपेटे में महिला मित्र भी है। हाजीपुर में इसके ठिकाने पर भी छापेमारी की गई थी। इसके 3 बैंक अकाउंट को फ्रीज किया गया है। अकाउंट्स के डिटेल को खंगाला जाएगा। पता किया जाएगा कि राजेश ने कब और कितने रुपए भेजे। इस मामले की जांच जब आगे बढ़ेगी तो उसकी महिला मित्र से पूछताछ भी होगी।

अकाउंट में मिले 12.53 लाख रुपए….
26 जून को EOU ने राजेश के खिलाफ 1 करोड़ 36 लाख 31 हजार रुपए का आय से अधिक का केस दर्ज किया था। जो उसकी आमदनी से 201.94 प्रतिशत है। इसके और परिवार को मिलाकर कुल 13 बैंक अकाउंट मिले। इसमें 12 लाख 53 हजार 247 रुपए जमा मिले। इन्हें फ्रीज कर दिया गया है।
जांच एजेंसी ने पटना, हाजीपुर, मुजफ्फरपुर और मोतिहारी समेत कुल 6 ठिकानों पर छापेमारी की थी। इसमें महिला मित्र का हाजीपुर में किराए का घर भी शामिल है। इसके खिलाफ कार्रवाई के लिए बिहार राज्य खाद्य निगम को भी लिखा गया है। काली कमाई से अर्जित की गई संपत्ति को भी जब्त करने के लिए ED को लिखा जाएगा।
भ्रष्टाचार के दोनों ही मामलों में वित्तीय लेनदेन की जांच होगी। जो लोग भी गैर कानूनी ढंग से संपत्ति अर्जित कर रहे हैं, उसे जब्त किया जाएगा। उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। -नैयर हसनैन खान, ADG, EOU
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