गुना….

- गंगा अहिरवार को पीएम मोदी ने सम्मानित किया….
गुना जिले के मुहालपुर गांव में कभी घर की चारदीवारी के अंदर रहने वाली गंगा अहिरवार खुद तो आत्मनिर्भर बनी ही..पति, ससुर, जेठानी सहित गांव की 240 महिलाओं को भी रोजगार से जोड़ा। गंगा ने अपना ही नहीं, गांव के अधिकतर परिवारों का जीवन स्तर सुधारा। यही कारण है कि गांवभर में अब गंगा को हर कोई लक्ष्मी कहकर बुलाता है।
गुना की इस ‘लखपति दीदी’ गंगा बाई अहिरवार का रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सम्मान किया। साथ ही उनसे संवाद भी किया। इस दौरान गंगाबाई ने पीएम मोदी को अपनी सफलता की कहानी सुनाई।
कार्यक्रम में शामिल होने के लिए गंगा महाराष्ट्र के जलगांव पहुंची हैं। उनके अलावा मध्यप्रदेश की पांच लखपति दीदी इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए महाराष्ट्र पहुंची हैं।

आजीविका मिशन से जुड़कर बनाया स्व सहायता समूह
गंगा ने गुना के महारानी लक्ष्मीबाई गर्ल्स हायर सेकेंडरी स्कूल से 12वीं तक की पढ़ाई की है। पिता अपनी 5 बीघा जमीन पर खेती कर परिवार पालते थे। 2011 में गंगा की शादी मुहालपुर गांव के बिशन अहिरवार से हुई।
गंगा ने बताया कि शादी के बाद वे घर के कामों के अलावा पति के साथ खेतों में भी सहयोग करती थी। हाड़ तोड़ मेहनत के बाद भी जरूरतें पूरी करने के लिए परिवार को कर्ज लेना पड़ता था।
इसी बीच उन्हें आजीविका मिशन के बारे में जानकारी मिली। गंगा ने इस मिशन से जुड़कर साल 2016 में गांव की 11 महिलाओं के साथ उमा स्व सहायता समूह का गठन किया। पहला लोन 11 हजार रुपए का मिला। शुरुआत में 10 रुपए प्रति सप्ताह की बचत की। समूह के माध्यम से घर की छोटी-मोटी जरूरतें पूरी करने लगीं।
22 स्व सहायता समूहों से 240 महिलाओं को जोड़ा
गंगा ने बताया कि उन्होंने 2018 से 2024 तक अपने आसपास के अन्य गांवों की 240 महिलाओं के 22 स्व सहायता समूह बनाए। उन्हें आजीविका मिशन की गतिविधियां शुरू करने के लिए प्रेरित किया। समूह के जरिए 50 हजार का लोन लेकर ससुर को किराना दुकान खुलवाई, जेठानी को सब्जी की खेती के लिए कहा। दो साल में इससे 4 लाख रुपए की इनकम हुई।
देवरानी घर के काम में लगी थी, उसको भी घर पर ही सिलाई और कढ़ाई सेंटर खुलवा दिया। 5 हजार रुपए महीने में काम करने वाले पति की नौकरी छुड़वाकर स्व सहायता समूह के माध्यम से 2 कैंटीन खुलवाईं। आज गंगा पति के साथ मिलकर हर महीने 20 हजार रुपए कमा रही है।

2019 में कलेक्ट्रेट में खोली कैंटीन
गंगा ने सास, ससुर और पति के साथ मिलकर स्कूल यूनिफॉर्म सिलाई का काम भी किया। गुना के कलेक्ट्रेट परिसर में 2019 में चाय-नाश्ते की कैंटीन शुरू की लेकिन कोरोना के कारण चल नहीं पाई। कोरोनाकाल बीतने के बाद गंगा ने 2020 में दोबारा कैंटीन शुरू की।
गंगा ने इंस्टीट्यूट ऑफ होटल मैनेजमेंट (आईएचएम) भोपाल से ट्रेनिंग लेकर सर्टिफिकेट हासिल किया है। कलेक्टर डाॅ. सत्येंद्र सिंह की सलाह पर कैंटीन में टिफिन सेंटर खोल लिया। जिससे उन्हें करीब 10 हजार रुपए प्रति महीने की बचत हो रही है।

केंद्रीय मंत्री भी कर चुके हैं खाने की तारीफ
केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया 12 अगस्त को गुना दौरे पर थे। इस दौरान वह गंगा की कैंटीन में पहुंचे। यहां उन्हें भिंडी, मक्के की कीस, दाल-चावल, बाफले परोसे गए। खाना खाने के बाद सिंधिया ने गंगा की तारीफ की।
कोरोनाकाल में गुना सरकारी अस्पताल में कोविड रोगियों के लिए टिफिन बनाकर गंगा ने 4.50 लाख रुपए का रोजगार हासिल किया। इसके लिए तत्कालीन पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री महेंद्र सिंह सिसौदिया ने गंगा को प्रशंसा पत्र देकर सम्मानित किया था।
गंगा कैंटीन, खेती, फलों के बगीचे, सिलाई और दूसरे कामों से बीते 3 महीने से लगातार करीब 20 हजार रुपए महीना कमा रही हैं। इसी वजह से उन्हें लखपती दीदी की श्रेणी में शामिल किया गया है।