ड़ाक्टरों की बनाई गई टीम; एक सप्ताह तक रहेगी साथ में….


जबलपुर के रहने वाले भैया जी सरकार ने करीब 10 साल पहले नर्मदा में बढ़ रहे प्रदूषण को लेकर अकेले ही आंदोलन शुरू किया था। धीरे-धीरे उनके साथ काफी लोग जुड़ गए। बाद में आंदोलन का नाम नर्मदा मिशन रखा गया। भैया जी सरकार ने नर्मदा में मिलने वाले गंदे नाले और प्रदूषण को लेकर भी मध्यप्रदेश में हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी, जिस पर राज्य सरकार को हाईकोर्ट ने फटकार लगाते हुए नर्मदा को लेकर जांच के निर्देश दिए थे। भैया जी सरकार ने प्रदेश के अलग-अलग जिलों में आंदोलन, धरना प्रदर्शन किया और जब सरकार की तरफ से कार्रवाई नहीं की गई तो उन्होंने निराहार रहने का फैसला किया। बताया जा रहा है कि बीते 4 सालों से भैया जी सरकार ने अन्न का एक भी दाना नहीं खाया, और पानी के दम पर ही जिंदा है। भैया जी सरकार ने निराहार रहकर उन्होंने केवल नर्मदा जल पीना शुरू किया था और यह दावा किया था कि जब तक नर्मदा की पूरी तरह शुद्ध नहीं हो जाती तब तक भी भोजन ग्रहण नहीं करेंगे।

भैया जी समर्थ सरकार सिर्फ नर्मदा जल पीकर 1300 से ज्यादा दिनों से सिर्फ जिंदा ही नहीं हैं बल्कि शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ भी हैं। संत भैया जी ने अभी तक मां नर्मदा की 3 हजार से अधिक किलोमीटर की परिक्रमा भी कर चुके हैं। भैयाजी सरकार यह करिश्मा देखते हुए संचालनालय लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा ने संत की तपस्या पर शोध करने और इसकी प्रमाणिकता को विश्व स्तर पर प्रमाणित करने के लिए निर्देश जारी किया, जिसके बाद अब नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज के अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई है। समिति के अध्यक्ष एमपीएमएसयू जबलपुर के पूर्व कुलपति डॉ. आरएस शर्मा होंगे तो मेडिसिन डिपार्टमेंट के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. प्रशांत पुणेकर और पैथोलॉजी डिपार्टमेंट के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. राजेश महोबिया समेत नर्मदा मिशन के अध्यक्ष निलेश रावल इस समिति के सदस्य होंगे। समिति अगले 7 दिन, 24 घंटे लगातार दादा गुरु के स्वास्थ्य और दिनचर्या की सतत निगरानी की जाएगी।

जबलपुर कलेक्टर दीपक सक्सेना भी भैयाजी सरकार से मुलाकात करने के लिए उनके आश्रम मदन महल पहुंचे। जबलपुर कलेक्टर का कहना दादा गुरु महाराज ने स्वंय ये बात कही थी कि वो नर्मदा जी के दर्शन करते हुए रोजाना 25 किलोमीटर पैदल चलते है, और नर्मदा के जल और वायु पर ही जीवित है। और उसी से ऊर्जा प्राप्त करते है। कलेक्टर ने बताया कि उन्होंने सरकार से निवेदन किया था कि मेरे ऊपर शोध होना चाहिए, ताकि लोगों को ये पता चल सके कि प्रकृति में, वायु में और नर्मदा जल में कितनी शक्ति है, इस वजह से सात दिन तक डॉक्टर की एक टीम उनके साथ रहेगी। जो कि उनके मेडिकल टेस्ट करेगी। सात दिन के बाद डॉक्टरों की टीम को सरकार को सौंप दिया जाएगा।