औरत….
एक औरत ही तो होती है तो जो पुरुष को जन्म देती है
एक औरत ही तो होती है जो पूरे परिवार की धुरी होती है
एक औरत ही तो होती है जो कई रिश्तों का भार लिए फिर भी हल्कापन महसूस करती है
एक औरत ही तो होती है जो रिश्तों में भी कई रिश्तों को पनपा देती है
बच्चों की मां के साथ-साथ दोस्तों और मार्गदर्शक भी बन जाती है
पति की पत्नी के साथ-साथ प्रेमिका और दोस्त भी बन जाती है
सास और ननद की सहेली भी बन जाती है
देवर की दोस्त और बहन भी बन जाती है
एक औरत ही तो होती है जो कभी रिटायर नहीं होती,
शायद उसकी कभी रिटायरमेंट के उम्र ही नहीं आती…
एक औरत ही तो होती है जो हफ्ते के सातों दिन बिना किसी अवकाश के काम करती है
एक औरत ही तो होती है जो जरूरत पड़ने पर घर की बाई, आया, डॉक्टर, दर्जी, टीचर सब कुछ बन जाती है
बस उसके नाम की तख्ती ही नहीं बन पाती है….
एक औरत ही तो होती है जिससे सभी को आस लगी होती है
जभी तो पतिदेव गर्व से कहते हैं- अरे मैं तो ऑफिस में हूं, वह सब देख लेगी घर पर….
जब एक पुरुष घर से बाहर जाते हैं, तो सभी बेफिक्र और मस्त रहते हैं,
पर जब भी औरत घर से बाहर जाती है तो घर साथ-साथ घर की घड़ी, घर के बच्चे, घर के सभी काम उसे निहारने लग जाते हैं….
औरत के बिना सब अधूरा है…. जैसे शिव अधूरे हैं बिना सती के….
–नम्रता यादव
लेखिका नम्रता यादव हिंदी लेखन साहित्य में उपदेशक कविताएं, प्रेरक कहानियां और उच्च गुणी साहित्य की जानी-मानी कलमकार हैं. हाल ही में उनकी रचनाएं हिंदी साहित्य में बड़ा नाम सुप्रसिद्ध पत्रिका ”साहित्यानामा” के विशेषांक ”आयाम” में प्रकशित हुई हैं….
Writer Namrata Yadav is a well-known penman of preaching poems, inspirational stories and high quality literature in Hindi writing literature. Recently his works have been published in Hindi literature in the special issue "Ayam" of the well-known magazine "Sahityanama".