भोपाल….

मध्यप्रदेश के स्कूलों में अभी गर्मी की छुट्टियां चल रही है। 1 मई से स्कूल बंद है, जो 15 जून के बाद खुलेंगे। बच्चे स्कूल नहीं जा रहे हैं, उन्हें मिड डे मील भी नहीं बांटा जा रहा है। लेकिन, 23 जिले ऐसे हैं जहां अब भी मध्याह्न भोजन बांटने की बात कही जा रही है।अवकाश के दिनों को छोड़कर इसका डाटा मध्याह्न भोजन के पोर्टल पर लगातार अपलोड किया जा रहा है।
ये गड़बड़ी केंद्र सरकार ने पकड़ी है। जिसके बाद एमपी सरकार को पत्र लिखा गया और दोषी शाला प्रभारियों पर एक्शन लेने के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही कलेक्टर्स को भी पत्र भेजकर इसकी जांच कराने के लिए कहा है।

जिला पंचायत CEO को लिखा पत्र
प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण कार्यक्रम के ऑटोमेटेड मॉनिटरिंग सिस्टम के तहत पोर्टल के जरिए मध्याह्न भोजन वितरण की रिपोर्टिंग की जाती है। पीएम पोषण शक्ति निर्माण कार्यक्रम के राज्य समन्वयक ने इसका खुलासा होने के बाद 16 मई को संबंधित जिलों के सीईओ, जिला पंचायत को पत्र लिखा। जिसमें कहा है कि स्कूल शिक्षा विभाग के तहत संचालित स्कूलों में 1 मई 2024 से 15 जून 2024 तक ग्रीष्मकालीन अवकाश घोषित हैं। इस अवकाश अवधि में पीएम पोषण का वितरण नहीं किया जाना है।
इस पत्र में यह भी कहा है कि चूंकि अवकाश के चलते स्कूलों में बच्चों का आना-जाना बंद है। इसलिए पीएम पोषण वितरण नहीं करने के स्पष्ट निर्देश है। इसके बाद भी संबंधित जिलों के शाला प्रभारियों ने अवकाश अवधि में मध्याह्न भोजन वितरण की रिपोर्टिंग एएमएस पोर्टल पर की है। यह पूरी तरह से गलत है। इसे लेकर भारत सरकार ने भी नाराजगी जताई है। इसलिए गलत रिपोर्टिंग करने वाले शाला प्रभारियों के खिलाफ कार्रवाई करें। इसकी जानकारी पीएम पोषण शक्ति निर्माण परिषद को दी जाए।
इन जिलों में बंट रहा है छुट्टी में भी मध्याह्न भोजन
ग्रीष्मकालीन अवकाश के दौरान जिन जिलों में पीएम पोषण कार्यक्रम के तहत मध्याह्न भोजन बांटा जा रहा है उसमें शामिल 23 जिलों में बड़वानी, सतना, रायसेन, भिंड, गुना, जबलपुर, आगर मालवा, दमोह, झाबुआ, मंडला, मंदसौर, बालाघाट, बैतूल, भोपाल और डिंडोरी शामिल हैं। इसके अलावा नरसिंहपुर, रतलाम, सागर, सिवनी, शहडोल, श्योपुर, शिवपुरी और टीकमगढ़ में भी मध्याह्न भोजन बांटने की जानकारी पोर्टल पर दर्ज की जा रही है जहां के सीईओ जिला पंचायत को जांच और कार्रवाई के लिए कहा गया है।
ऐसे होता है समूहों के रुपए देने और राशन देने का काम
पोषण कार्यक्रम से जुड़े अफसरों के अनुसार प्राथमिक विद्यालय के बच्चों के लिए 5 रुपए और माध्यमिक विद्यालय के बच्चों के लिए समूहों को 7 रुपए प्रति बच्चे के हिसाब से मानदेय दिया जाता है जिसमें दाल और अन्य सामग्री का इंतजाम करना पड़ता है। इसके अलावा प्रति बच्चा 100 ग्राम चावल और 150 ग्राम आटा भी दिया जाता है। इसका भुगतान केंद्र से मिलने वाली राशि के आधार पर किया जाता है।