इंदौर….

हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने सरकार द्वारा अधिकारी, कर्मचारियों को दी जाने वाली अनिवार्य सेवानिवृत्ति के मामले में महत्वपूर्ण फैसला दिया है। किसी अधिकारी, कर्मचारी को सजा के रूप में अनिवार्य रूप से रिटायरमेंट दिया जाता है तो उसे पेंशन, ग्रेच्युटी, पीएफ का लाभ नहीं दिया जाता है, जबकि उम्र और सेवा के आधार पर किसी को सामान्य रूप से रिटायर किया जाता है तो उसे पेंशन व अन्य सुविधाओं का लाभ दिया जाता है।
सशस्त्र सुरक्षा बल के एक आरक्षक को शासन ने सजा के रूप में अनिवार्य रूप से रिटायर कर दिया था। उसके द्वारा पेंशन व अन्य सुविधा की मांग की गई तो कहा गया कि उसकी सर्विस 20 साल से अधिक नहीं हुई है, इसलिए लाभ नहीं दे सकते।
सर्विस रूल्स में भी इसका उल्लेख
आरक्षक अभयसिंह ने अधिवक्ता आनंद अग्रवाल के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। इसमें उल्लेख किया कि अनिवार्य सेवानिवृत्ति के मामले में शासन ने लापरवाही की है। नियमानुसार उन्हें सेवानिवृत्ति के बाद की सारी सुविधाएं मिलना चाहिए। सर्विस रूल्स में भी इसका उल्लेख है। केवल इस सुविधा के लिए सर्विस पर्याप्त नहीं है, इसे आधार नहीं बनाया जा सकता। वहीं शासन की ओर से कहा गया कि सजा के रूप में रिटायरमेंट दिया है, इसलिए किसी तरह की राहत प्रदान नहीं की गई है।
सरकार ने नीति के हिसाब से निर्णय लिया है। अभयसिंह द्वारा हाई कोर्ट आने से पहले पत्राचार भी किया गया था, लेकिन उनके किसी आवेदन पर गौर नहीं किया गया। हाई कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद फैसले में कहा कि याचिकाकर्ता रिटायरमेंट के बाद की तमाम सुविधाएं पाने का हकदार है। उसे वंचित नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने समय सीमा में लाभ देने के आदेश जारी किए हैं।