कम बढ़ोतरी पर इंदौर-भोपाल में असंतोष

प्रदेश सरकार के फाइनेंस डिपार्टमेंट ने संविदा अधिकारियों- कर्मचारियों की वेतन वृद्धि का सीपीआई इंडेक्स 3.87 जारी कर दिया है। इसमें इन कर्मचारियों के पारिश्रमिक में 3.87 प्रतिशत की वृद्धि की गई है, जिससे इनके पारिश्रमिक में 785 से 2535 रुपए प्रतिमाह का लाभ देखने को मिलेगा। यह वृद्धि एक अप्रैल 2024 से की गई है। तीन माह का एरियर दिया जाएगा या नहीं आदेश में इसका उल्लेख नहीं किया गया है। इस वृद्धि को लेकर मप्र संविदा कर्मचारी-अधिकारी महासंघ ने आपत्ति दर्ज कराई है। महासंघ का कहना है कि केंद्र सरकार ने सीपीआई इंडेक्स का फार्मूला 5.39 प्रतिशत का दिया है, तो मप्र में इससे कम 3.87 प्रतिशत क्यों मंजूर किया गया।
उल्लेखनीय है कि सरकार ने वर्ष 2023 में संविदा नीति जारी की है, जिसमें यह तय किया गया है कि हर साल एक अप्रैल को संविदा अधिकारियों-कर्मचारियों की महंगाई दर (उपभोक्ता मूल्य सूचकांक) में वृद्धि की जाएगी। सरकार ने अप्रैल में सीपीआई इंडेक्स दर जारी नहीं की। जब महासंघ ने मुख्यमंत्री, वित्त मंत्री, मुख्य सचिव, वित्त और सामान्य प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव को ज्ञापन सौंपा एवं आंदोलन की चेतावनी दी, तब वित्त विभाग ने आदेश जारी किए हैं। इससे संविदा कर्मचारियों को फायदा तो होगा, पर उतना नहीं होगा, जितना अन्य राज्यों के संविदा कर्मचारियों को मिल रहा है।
पुलिस में 5.64, स्वास्थ्य विभाग में 5.39 प्रतिशत
संविदा कर्मचारियों ने सीपीआई इंडेक्स की दर तय करने में वित्त विभाग पर मनमानी करने का आरोप लगाया है। इन आरोपों को इस बात से भी बल मिलता है कि पुलिस हाउसिंग कार्पोरेशन ने अपने संविदा कर्मचारियों के लिए 5.64 प्रतिशत और स्वास्थ्य विभाग के जबलपुर एवं नरसिंहपुर क्षेत्रीय कार्यालयों ने अपने कर्मचारियों को 5.39 प्रतिशत का लाभ दिया है। इससे इन संस्थाओं के संविदा अधिकारियों एवं कर्मचारियों के पारिश्रमिक में अन्य विभागों के कर्मचारियों की तुलना में अधिक वृद्धि होगी।
संविदा कर्मचारियों को मजदूर न समझें
मध्य प्रदेश संविदा अधिकारी महासंघ के अध्यक्ष रमेश राठौर कहते हैं कि केंद्र सरकार ने 5.39 प्रतिशत का सीपीआई इंडेक्स जारी किया है, मप्र में भी यही जारी किया जाना चाहिए था। इसके साथ ही नियमित कर्मचारियों के समान 3 प्रतिशत इंक्रीमेंट भी देना था। अब मुख्य सचिव को ज्ञापन देकर कहेंगे कि संविदा कर्मचारी कोई मजदूर नहीं है, जो सीपीआई इंडेक्स दिया जा रहा है। इसे समाप्त कर पहले की तरह महंगाई भत्ता दिया जाए। वह नियमित कर्मचारियों की तरह चयन प्रक्रिया से आया है। उसे नियमित कर्मचारियों के समान वेतन-भत्ते मिलने चाहिए, न कि मजदूरों की भांति। सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है कि जो 12 महीने से अधिक कार्य कर रहे हैं जिनके कार्य की प्रकृति 12 मासी है, वह संविदा कर्मचारी नहीं हो सकते। उन्हें नियमित कर्मचारी माना जाए।
इंदौर से भी उठी मांग
संविदा कर्मचारी अधिकारी महासंघ इंदौर जिला इकाई के अध्यक्ष इंजीनियर मनोज राठौर ने भी मांग की है कि भारत सरकार ने 5.39 सीपीआई इंडेक्स जारी किया है उसके अनुसार ही मप्र में जारी हो और सीपीआई इंडेक्स की जगह नियमित कर्मचारियों की तरह महंगाई भत्ता मिलना चाहिए।
किसका कितना वेतन बढ़ेगा?
भृत्य /चौकीदार 785 रुपए,
वाहन चालक 987,
लिपिक 987,
डाटा एंट्री ऑपरेटर 1188,
सहायक वार्डेन 1281,
मोबाइल स्रोत सलाहकार 1281,
लेखापाल 1281,
एमआईएस को-ऑर्डिनेटर 1660,
स्टेनोग्राफर 1425,
ड्राफ्ट्समैन 1660
उपयंत्री1660,
बीआरसी1670,
ए पीसी जेंडर 1670,
एपीसी आईडी 1660,
व्याख्याता 1830,
प्रोग्रामर 2160,
सहायक परियोजना वित्त 2160,
सहायक यंत्री 2169,
सहायक प्रबंधक 2535