मुंबई….

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) बैंकों को दिए जाने वाले कर्ज की दर यानी रेपो रेट में 0.50% की कटौती की है। अब रेपो रेट 5.50% रह गया है। इससे बैंकों को RBI से कम ब्याज पर कर्ज मिलेगा। ब्याज में इस कटौती को बैंक अपने ग्राहकों को ट्रांसफर करते हैं, तो आने वाले दिनों में लोन सस्ते हो सकते हैं। लोन सस्ते होने पर लोगों की मौजूदा EMI भी घट जाएगी। ब्याज दरों में कटौती का फैसला मॉनीटरी पॉलिसी कमेटी की 4 से 6 जून तक चली मीटिंग में लिया गया। RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने आज 6 जून की सुबह इसकी जानकारी दी।
ब्याज में कटौती का असर उदाहरण से समझें
RBI जिस रेट पर बैंकों को लोन देता है उसे रेपो रेट कहते हैं। महंगाई कंट्रोल करने के लिए इसे बढ़ाया-घटाया जाता है।
ताजा कटौती के बाद 20 साल के लिए लिए गए 20 रु. लाख के लोन पर करीब रु. 1.48 लाख का फायदा मिलेगा। इसी तरह रु. 30 लाख के लोन पर रु. 2.22 लाख का फायदा होगा। नए और मौजूदा ग्राहकों दोनों को इसका फायदा मिलेगा।
इस साल 3 बार घटा रेपो रेट, 1% की कटौती हुई
RBI ने फरवरी में हुई मीटिंग में ब्याज दरों को 6.5% से घटाकर 6.25% कर दिया था। मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की ओर से ये कटौती करीब 5 साल बाद की गई थी।
दूसरी बार अप्रैल में हुई मीटिंग में भी ब्याज दर 0.25% घटाई गई। अब तीसरी बार दरों में कटौती हुई है। यानी, मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी ने तीन बार में ब्याज दरें 1% घटाई हैं।
रेपो रेट के घटने से हाउसिंग डिमांड बढ़ेगी
रेपो रेट घटने के बाद बैंक भी हाउसिंग और ऑटो जैसे लोन्स पर ब्याज दरें कम करते हैं। ब्याज दरें कम होने पर हाउसिंग डिमांड बढ़ेगी। ज्यादा लोग रियल एस्टेट में निवेश कर सकेंगे। इससे रियल एस्टेट सेक्टर को बूस्ट मिलेगा।
CRR घटने से रु. 2.5 लाख करोड़ फाइनेंशियल सिस्टम में आएंगे
RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि कैश रिजर्व रेश्यो (CRR) में 1% की कटौती करके इसे 4.00% से घटाकर 3.00% करने का फ़ैसला किया है। उन्होंने कहा कि RBI के इस कदम से रु. 2.5 लाख करोड़ फाइनेंशियल सिस्टम में आएंगे।
CRR वो पैसा है जो बैंकों को अपने कुल जमा का एक हिस्सा रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया (RBI) के पास रखना होता है। इससे RBI ये कंट्रोल करता है कि बाजार में कितना पैसा रहेगा। अगर CRR कम होता है, तो बैंकों के पास लोन देने के लिए ज्यादा पैसा बचता है, जैसे इस बार 1% की कटौती से रु. 2.5 लाख करोड़ रुपए सिस्टम में आएंगे।